Success Story: कहते हैं अगर इच्छा शक्ति ढृढ़ हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है। इसे साबित कर दिखाया है केरल की एक महिला ने जो दोनों हाथ से अपंग है। फिर भी अपने हौसले के दम पे उन्होंने पैर से कार चलना सीखा और वह एशिया की पहली ऐसी महिला बन गई है, जिन्हें बिना हाथ के भी कार चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त हुआ है। आइये जानते हैं उनके संघर्ष की कहानी।
2018 में चलाना सीखा था कार
केरल के करीमनूर गांव की रहने वाली जिलोमूल को बचपन से ही कार चलाने का बहुत शौक था। परंतु वह दोनों हाथ से अपंग है । लेकिन उनकी इच्छा उस समय तीव्र हो गई। जब उन्हें यह पता चला कि बिना हाथ के एक शख्स विक्रम अग्निहोत्री को ड्राइविंग लाइसेंस मिला है। तब उन्होंने ठान लिया की वह भी अपने पैर से कार जरुर चलाएंगी । 2018 में जिलोमूल ने अपनी Celerio कार खरीदी और इसे अपने हिसाब से कस्टमाइज करवाया। इसके बाद उन्होंने अपने पैर से गाड़ी सीखना शुरू किया और 2018 में ही जिलोमूल को ड्राइविंग लाइसेंस भी मिल गया।
दिव्यांगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है इनकी कहानी
जिलोमूल उन लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जो दिव्यांग होने पर निराश हो जाते हैं और सपने देखना छोड़ देते हैं । जिलोमूल ग्राफ़िक्स डिजाइनिंग में अपना करियर बना रही हैं। इसके अलावा उन्हें पेंटिंग करने का भी शौक है।
जिलोमूल बताती है कि वह बचपन से ही बिना हाथ के पैदा हुई थी। लेकिन कभी भी उन्होंने इसे अपनी कमजोरी नहीं माना । हालांकि, कार सीखने और खरीदने के लिए उन्होंने अपने परिवार वालों को बहुत मुश्किल से मनाया और आज वे दिव्यांग लोगों की मिसाल बन गई है। अंगिका टाइम्स की टीम ऐसे लोगों के जज्बे को दिल से सलाम करता है।