Weak monsoon increases heat and humidity in Bihar: मानसून के कमजोर पड़ने के कारण बिहार में लोग बेचैनी वाली गर्मी से जूझ रहे हैं। मई माह जैसी गर्मी के हालात बन गए हैं, और बीते 24 घंटों में तापमान में करीब दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई है। प्रचंड धूप के कारण दिन के समय बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, और अधिकतर जिलों में बुधवार को तेज धूप और उमस की स्थिति बनी रही। तापमान के बढ़ने से चिपचिपाहट वाली गर्मी की स्थिति और बदतर हो सकती है।
बारिश की संभावना
बीएयू सबौर के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि 18 से 21 जुलाई के बीच जिले में एक-दो स्थानों पर हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होने का अनुमान है। इस दौरान अधिकतम 15 किमी प्रति घंटा की गति से पूर्वा हवा चल सकती है। बीते दिनों हुई बारिश के कारण वातावरण में धूलकण की मात्रा कम हुई है, जिससे वायु प्रदूषण भी काफी कम हुआ है।
मानसून की स्थिति
बिहार में मानसून की सक्रियता फिलहाल कम हो गई है। पहले कुछ दिनों तक हुई झमाझम बारिश से लोगों को राहत मिली थी, लेकिन अब फिर से उमस और गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि अगले कुछ दिनों तक बारिश का इंतजार करना पड़ेगा और मौसम का मिजाज नहीं बदलने के आसार हैं। भागलपुर, पूर्णिया समेत कोसी-सीमांचल इलाके में भी मौसम आंखमिचौली खेल रहा है, और नदियों के जलस्तर में भी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है।
भागलपुर का मौसम
भागलपुर जिले में बुधवार को तेज धूप के कारण लोगों को जलन और उमस का सामना करना पड़ा। आसमान में बादलों की आवाजाही के बावजूद बारिश नहीं हुई। लोगों को गर्मी से निजात पाने के लिए बारिश का इंतजार है, खासकर धान की नर्सरी तैयार कर चुके किसानों के लिए झमाझम बारिश जरूरी है। खेतों में पानी जमा होने के बाद ही धान के बिचड़े की रोपनी हो पाएगी। बुधवार को दिन का अधिकतम तापमान 37 डिग्री और न्यूनतम तापमान 28 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। हवा में नमी की मात्रा 72 फीसदी रही और दिनभर धीमी गति से उत्तर पूर्व दिशा से हवा चलती रही, जिससे आद्रता अधिक रही।
बिहार में मानसून की सुस्त स्थिति के कारण गर्मी और उमस से लोगों को राहत नहीं मिल रही है। भागलपुर समेत कई जिलों में लोग बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, आगामी कुछ दिनों में बारिश की संभावना है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिल सकती है और किसानों को उनकी फसलों के लिए आवश्यक पानी मिल सकेगा।