Victim of cyber fraud in Bhagalpur: बिहार के भागलपुर में तिलकामांझी यूनिवर्सिटी की एक महिला प्रोफेसर साइबर ठगों का शिकार बन गईं। ठगों ने 11 दिनों तक उन्हें संपर्क में रखकर 48 लाख रुपये की ठगी कर ली। यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे और इसकी गंभीरता को उजागर करती है।
ठगी की शुरूआत
10 जून को प्रोफेसर के मोबाइल पर एक कॉल आया, जिसमें कहा गया कि उनका लैपटॉप, मोबाइल और पासपोर्ट एयरपोर्ट पर फंसा हुआ है। कॉल करने वाले ने खुद को कुरियर कंपनी का प्रतिनिधि बताया। इसके बाद, दूसरे कॉल में एक व्यक्ति ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच से बताते हुए प्रोफेसर को जान का खतरा बताया। इस तरह से ठगों ने प्रोफेसर को भयभीत कर दिया और उनकी व्यक्तिगत जानकारी हासिल की।
बैंक खाते की जानकारी और एफडी तुड़वाई
11 जून को ठगों ने प्रोफेसर को उनके बैंक खाते की जानकारी साझा करने पर मजबूर किया। इसके बाद, प्रोफेसर की दो एफडी तुड़वाई गईं। पहली एफडी से 3 लाख 5 हजार रुपये और दूसरी एफडी से 2 लाख 5 हजार रुपये निकाल लिए गए। ठगों ने प्रोफेसर को धमकी दी और वीडियो कॉल के माध्यम से लगातार संपर्क में रहे, जिससे प्रोफेसर को किसी को कुछ भी बताने से मना किया गया।
एसआईपी की जानकारी लेकर ठगी
साइबर ठगों ने प्रोफेसर से उनकी एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) की जानकारी भी ली। इससे उन्होंने 42 लाख 50 हजार रुपये अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिए। प्रोफेसर को यह विश्वास दिलाया गया कि उनका पैसा वापस मिल जाएगा और ठगों ने खुद उनसे संपर्क करने का आश्वासन दिया।
आगे की कार्रवाई
20 जून की रात को जब ठगों का फोन बंद हो गया, तब प्रोफेसर को ठगी का शक हुआ। उन्होंने तुरंत 1930 पर कॉल कर पुलिस को जानकारी दी और भागलपुर साइबर थाना में मामला दर्ज कराया। इस घटना ने शहर में सनसनी फैला दी और लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि एक पढ़ी-लिखी प्रोफेसर इतनी बड़ी ठगी का शिकार कैसे हो सकती हैं।
साइबर सुरक्षा की अहमियत
महिला प्रोफेसर से हुई इस बड़ी ठगी ने साइबर सुरक्षा के महत्व को एक बार फिर उजागर किया है। इस घटना ने लोगों को सतर्क रहने और किसी भी अनजान कॉल या संदेश से सावधान रहने की आवश्यकता को बल दिया है। साइबर अपराध के इस दौर में, हमें अधिक जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है।