आज यानी 2 मई की है भारतीय सिनेमा जगत में नामी डायरेक्टर सत्यजीत रे का 103 वा जन्मदिन । सत्यजीत रे को भारतीय सिनेमा में जितना नाम और शोहरत नसीब हुई उतनी शायद और किसी के मुकद्दर में नहीं रही। सत्यजीत रे एक मात्र ऐसे डायरेक्टर है जिन्हें अपनी फिल्म्स के लिए कुल 36 नेशनल अवार्ड्स मिले और मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया। सत्यजीत रे की फिल्म्स बहुत अलग होती थी और उनका निर्देशन बहुत अच्छा होता था , यही वजह है के उनका नाम न केवल भारत बल्कि सारी दुनिया में मशहूर है और उनका नाम दुनिया भर के बड़े डायरेक्टर्स में आता है।
सत्यजीत रे एक मात्र ऐसे डायरेक्टर है जिन्हें अपने जीवन में उनकी फिल्म्स के लिए कुल 36 नेशनल अवार्ड मिले और फ्रांस के राष्ट्रपति उन्हें पुरुस्कार देने के लिए ख़ुद भारत आए। इनकी फिल्में बाकी फिल्मों से बहुत हट के होती थी और सत्यजीत रे अपने निर्देशन के जरिए अपनी फिल्म्स में जान डाल देते थे।
कैसे हुआ इनके करियर का आगाज़:
सत्यजीत रे ने साल 1955 में अपनी पहली फिल्म पाथेर पांचाली रिलीज की जिसे मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 11 इंटरनेशनल अवॉर्ड मिले और इस फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल में भी सम्मानित किया गया और ब्रिटिश मैगजीन साइट एंड साउंड में इस फिल्म को 100 बेस्ट फिल्म में शामिल किया गया। उन्होंने ये फिल्म बड़े स्ट्रगल के बाद बनाई थी। इस फिल्म की कहानी लिखने के बाद सत्यजीत दो साल तक प्रोड्यूसर ढूंढते रहे , मगर लोग एक नए डायरेक्टर की फिल्म में पैसे लगाने का रिस्क नहीं लेना चाहते थे और आखिर में उन्होंने ख़ुद अपने कुछ दोस्तों से पैसे उधार लेकर और इधर उधर से पैसे जुटा कर इस फिल्म को डायरेक्ट किया और इस फिल्म को जबरदस्त सक्सेस मिली।
सत्यजीत रे के निर्देशन में बनी फिल्म्स:
सत्यजीत रे के पास जब अपनी फिल्म्स डायरेक्ट करने के लिए पैसे ख़त्म होने लगे तो उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेच दिए और अपनी फिल्म्स डायरेक्ट की और जो फिल्म्स इन हालातों में बनाई गई थी वह जबरदस्त हिट साबित हुई और उनसे सत्यजीत रे को एक अलग पहचान मिली। सत्यजीत रे ने पारस पत्थर, जलसागर, महासागर, अपराजितो, अपुर संसार, चारूलता जैसे कई बंगाली और हिंदी फिल्मों का निर्देशन किया।
सत्यजीत रे के अवार्ड्स:
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा के एक मात्र ऐसे फिल्ममेकर थे जिन्हें अपने करियर में 36 नेशनल अवॉर्ड्स मिले थे। उन्हें ये अवार्ड्स अपनी फिल्म्स ‘उतरन’, ‘आगंतुक’, ‘गणशत्रु’, ‘घरे बायरे’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘जय बाबा फेलूनाथ’, ‘हीरक राजर देशे’, ‘सदगति’, ‘रबींद्रनाथ टैगोर’, ‘तीन कन्या’, ‘देवी’, ‘जलसागर’, ‘पाथेर पांचाली’ आदि के लिए मिले थे. इनमें 6 बेस्ट निर्देशक के अवॉर्ड्स थे और 30 नेशनल अवॉर्ड्स बेस्ट फीचर फिल्म के लिए दिए गए थे
फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारत आकर किया सम्मानित:
सत्यजीत रे को सम्मानित करने के लिए फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ख़ुद भारत आए थे। साल 1988 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांसिस मिट्रेंड ने सत्यजीत रे को फ्रांस के सबसे बड़े नागरिक सम्मान लीजन ऑफ ऑनर से नवाज़ा। सत्यजीत रे उन दिनों बीमार चल रहे थे तो उन्होंने ख़ुद कोलकाता अक्सर उन्हें ये सम्मान दिया। सत्यजीत रे को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। सत्यजीत रे मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
सत्यजीत रे का देहांत:
सत्यजीत रे की शादी साल 1949 में बिजोया रे के साथ हुई, जिससे उन्हें एक बेटा संदीप है जो के फिल्म डायरेक्टर है। 23 अप्रैल 1992 को सत्यजीत रे का निधन हो गया और उनकी अंतिम यात्रा में कोलकाता की गर्मी में कई किलोमीटर तक हजारों लोग शामिल थे।