Supreme Court orders structural audit of bridges: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में पुलों की सुरक्षा से संबंधित एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की गई है। इस याचिका में पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट करने और एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है। याचिका का मुख्य उद्देश्य यह है कि पुलों की वर्तमान स्थिति की गहन जांच की जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुरक्षित हैं या नहीं। पिछले चार हफ्तों में सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पुल गिरने की 10 घटनाएं सामने आई हैं, जिससे पुलों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठे हैं।
स्ट्रक्चरल ऑडिट और पुलों की मरम्मत
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार और एनएचएआइ से जवाब तलब किया है। स्ट्रक्चरल ऑडिट के तहत राज्य के सभी पुल-पुलियों की निर्माण तिथि, उनके ऊपर से गुजरने वाले वाहनों का भार और वाहन संख्या की जानकारी एकत्र की जाएगी। इस जानकारी के आधार पर पुराने पुलों को मजबूती प्रदान की जाएगी या उनकी मरम्मत की जाएगी। यदि पुल बहुत पुराने हैं या उनकी क्षमता से अधिक भार पड़ रहा है, तो नए पुलों का निर्माण भी किया जाएगा।
मेंटेनेंस पॉलिसी की तैयारी और कार्यान्वयन
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार में पुलों की मेंटेनेंस पॉलिसी को जल्द लागू किया जाएगा। यह पॉलिसी पथ निर्माण विभाग और बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है। ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से पुलों की स्ट्रक्चरल ऑडिट अंतिम चरण में है। इस ऑडिट के आधार पर पुलों की मरम्मत और नए पुलों के निर्माण का निर्णय लिया जाएगा। राज्य मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बाद इस पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा, और एनएचएआइ भी पुलों की बेहतर मेंटेनेंस के लिए व्यवस्था को पुख्ता बनाने में जुटा है।