RBI cancels licence of Maharashtra’s City Cooperative Bank: बीते कई सालों से विभिन्न राज्यों में संचालित होने वाले बैंकों में अनियमितता और वित्तीय घोटाले सामने आ रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कई बैंकों पर जुर्माना लगाया और उनके लाइसेंस रद्द कर दिए। आरबीआई का प्राथमिक उद्देश्य ग्राहकों की निवेश राशि की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

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बैंक का लाइसेंस रद्द होने का कारण

आरबीआई ने बताया कि द सिटी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड लगातार नियमों की अनदेखी कर रहा था और बैंक के पास पर्याप्त रकम भी नहीं थी। बैंक को बार-बार चेतावनी दी गई, लेकिन इसके बावजूद सुधार नहीं हुआ। आखिरकार, आरबीआई ने बैंक का लाइसेंस रद्द करने का फैसला लिया।

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₹500000 तक की रकम मिलेगी वापस

बैंक के लाइसेंस रद्द होने के बाद, ग्राहकों को अपनी जमा रकम की सुरक्षा को लेकर चिंता है। आरबीआई ने निर्देश दिया है कि यदि बैंक में किसी ग्राहक के 10 लाख रुपये या उससे अधिक जमा हैं, तो भी उन्हें सिर्फ ₹500000 ही वापस मिलेंगे। यह रकम डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर के तहत दी जाएगी।

आरबीआई का कड़ा रुख

आरबीआई बैंकों की भलाई और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठा रहा है। आरबीआई के सर्कुलर के अनुसार, द सिटी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के बैंकिंग से जुड़े सभी काम तुरंत रोकने का आदेश दिया गया है। इससे बैंक में खाता रखने वाले ग्राहकों में हड़कंप मच गया है और लोग अपने पैसे की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर प्रभाव

भारत में विभिन्न बैंकों के अपने-अपने नियम और कानून हैं, लेकिन आरबीआई का सख्त रुख बैंकों में पारदर्शिता और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। हाल में, द सिटी कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड का लाइसेंस रद्द करने से आम लोगों में काफी चिंता फैल गई है और वे अपने जमा पैसे को लेकर चिंतित हैं।

इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि आरबीआई बैंकों की वित्तीय स्थिति और नियमों का पालन न करने पर सख्त कार्यवाही करने के लिए तैयार है, ताकि ग्राहकों की जमा पूंजी सुरक्षित रहे।