Krishna Mata Bham resumes pilgrimage after injury recovery: कृष्णा माता बम ने 2019 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित कटास राज मंदिर का दर्शन पूजन किया था। भारत सरकार की अनुमति के बाद इस यात्रा की गई, और पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें विशेष भेंट भी दी थी। कृष्णा माता बम ने बताया कि महाभारत काल में युधिष्ठिर द्वारा दिए गए उत्तर के बाद तालाब का जल ग्रहण कर मोक्ष प्राप्त किया गया था। कटास राज मंदिर और पुष्कर झील का विशेष धार्मिक महत्व है, जहां भगवान शिव के आंसू गिरने की मान्यता है।

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प्रेरणा और भक्ति की शक्ति

कृष्णा माता बम का कहना है कि उन्हें अपने पूर्वजों से भक्ति और शिव की अहमियत की प्रेरणा मिली। भक्ति और समर्पण के कारण उन्हें कठिनाईयों के बावजूद शक्ति मिलती है। पिछले वर्ष पटना में पैर टूट जाने के कारण यात्रा नहीं कर पाईं, लेकिन इस बार पूरी तरह से तैयार हैं। उनकी यात्रा और भक्ति ने उन्हें हमेशा नई ऊर्जा दी है।

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देशभर की यात्रा

कृष्णा माता बम ने गंगोत्री से रामेश्वरम तक एक माह में यात्रा की है और नेपाल, असम, गुजरात जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों का दर्शन भी किया है। 72 वर्षीय कृष्णा माता बम ने देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों का दर्शन कर कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। कैलाश पर्वत और मानसरोवर की यात्रा उनके जीवन के सबसे अद्भुत क्षणों में से एक रही है।

सावन माह की यात्रा

कृष्णा माता बम सावन माह की पहली सोमवार से बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा शुरू करती हैं और बाद में विभिन्न ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करती हैं। इस वर्ष भी उन्होंने बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक किया और एमपी के ओंकारेश्वर, नर्मदा नदी और बाबा महाकाल का दर्शन पूजन किया। हर सोमवार को वह अलग-अलग धाम और ज्योतिर्लिंग का दर्शन करती हैं।

विशेष भक्त कृष्णा माता बम

कृष्णा माता बम ने पिछले 40 वर्षों से बाबा बैद्यनाथ के जलाभिषेक की अनोखी परंपरा निभाई है। वह इस वर्ष 41वीं बार महादेव का जलाभिषेक करेंगी। 1976 में बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक करने वाली कृष्णा माता बम को 1982 में बाबा बैद्यनाथ के दरबार में दर्शन के लिए भेजा गया था। 2023 में दुर्घटना के बावजूद उनकी शिव के प्रति आस्था ने उन्हें यात्रा के लिए प्रेरित किया है।

बाबाधाम की यात्रा

सावन के महीने में बिहार के भागलपुर से देवघर तक की पैदल यात्रा करने वाली कृष्णा माता बम इस बार फिर से यात्रा पर निकल रही हैं। पिछली बार वह बाबा बैद्यनाथ के दरबार में नहीं जा सकीं थी, लेकिन इस बार वह लौट आई हैं और अपनी यात्रा जारी रखेंगी।