Government halts lateral entry ads amid political controversy: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री के लिए एक पारदर्शी तरीका अपनाया है, जिसमें यूपीएससी के माध्यम से निष्पक्ष भर्तियां की जाएंगी। यह सुधार प्रशासन में सुधार लाने के लिए है। भाजपा ने आरोप लगाया कि लेटरल एंट्री का प्रस्ताव कांग्रेस शासन में आया था, जिसमें कई बड़े नेताओं को शामिल किया गया था। इस सुधार से जुड़े पदों पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सामाजिक न्याय पर जोर दिया है।
सरकार का फैसला: लेटरल एंट्री पर रोक
केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर बताया कि सरकार ने लेटरल एंट्री के पुनर्मूल्यांकन के तहत यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले की लेटरल एंट्री में आरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया था। इस पुनर्मूल्यांकन का उद्देश्य नीति में सुधार करना है।
सियासी बवाल: विज्ञापन पर रोक
यूपीएससी ने 17 अगस्त को 45 ज्वाइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियों के विज्ञापन जारी किए थे। इस फैसले के खिलाफ सियासी बवाल मच गया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार आरक्षण पर हमला कर रही है। एनडीए के घटक दलों ने भी इस फैसले की आलोचना की है।