Farmers face challenges with sowing due to rain: वर्तमान में किसानों के लिए सही फसल बुवाई और सिंचाई प्रबंधन महत्वपूर्ण है। हाल ही में भागलपुर जिले में सावन की पहली बारिश ने उमस और गर्मी से राहत प्रदान की, लेकिन हल्की बारिश से धान की फसल के लिए आवश्यक पानी की कमी बनी हुई है। इस स्थिति में किसानों को धान और अन्य फसलों की बुवाई के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।

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सिंचाई और फसल बुवाई की दिशा-निर्देश

किसान जिनके पास सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है, वे धान की छिटका विधि से खेत में सीधी बुवाई कर सकते हैं। ऊंची और कम पानी वाली जमीन में, किसान मोटे अनाज जैसे ज्वार, मडुआ, बाजरा, सावा, और कोदो की बुआई कर सकते हैं। इन फसलों को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसलिए इन खेतों में जल निकास की उचित व्यवस्था होना आवश्यक है।

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भागलपुर जिले में सावन की पहली बारिश

भागलपुर जिले में सोमवार को सावन की पहली बारिश ने लोगों को उमस और गर्मी से राहत दी। दिनभर बादलों की आवाजाही से तेज धूप से भी आराम मिला। जिले के विभिन्न हिस्सों में 8.3 मिलीमीटर हल्की बारिश हुई और पूर्वा हवा 8.4 किमी प्रति घंटा की गति से चलती रही। दोपहर का अधिकतम तापमान 33.5 डिग्री और सुबह का न्यूनतम तापमान 27 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। हवा में नमी की मात्रा 72 प्रतिशत थी।

किसानों की चिंताएं और मौसम विशेषज्ञ की राय

किसानों ने कहा कि हल्की बारिश के कारण धान के खेतों में पानी का उचित संचय नहीं हो पाया है। धान की नर्सरी तैयार है, लेकिन बिचड़े की रोपनी झमाझम बारिश के बाद ही की जा सकेगी। बीएयू सबौर के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि हल्की बारिश से धान के खेतों में पानी की कमी हो गई है, जिससे रोपनी में विलंब होगा। इस समय किसानों को झमाझम बारिश का इंतजार है ताकि फसलों की अच्छी बुवाई और विकास सुनिश्चित हो सके।