Central Board of Secondary Education : CBSE (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) ने पिछले साल दिसंबर में कुछ विषयों के लिए ओपन बुक एग्जाम आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। इस फैसले के तहत शुरुआती तौर पर क्लास 9 और 11 के लिए ओपन बुक एग्जाम इस साल से आयोजित किए जाएंगे, जबकि क्लास 10 और 12 को फिलहाल इस योजना से बाहर रखा गया है।

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ओपन बुक एग्जाम क्या हैं?

ओपन बुक एग्जाम्स में छात्र अपने साथ स्टडी मैटीरियल, जैसे कि नोट्स, किताबें, और रेफरेंस मैटीरियल, परीक्षा हॉल में ले जा सकते हैं और उनकी मदद से उत्तर लिख सकते हैं। हालांकि, प्रश्न सीधे तौर पर किताबों से कॉपी-पेस्ट करने योग्य नहीं होते। ये प्रश्न इस तरह से डिजाइन किए जाते हैं कि वे छात्र के विषय ज्ञान और उसके व्यावहारिक अनुप्रयोग की समझ को परख सकें।

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एनईपी पर आधारित पैटर्न

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के तहत परीक्षा पैटर्न को बदलने पर जोर दिया गया है। इसका उद्देश्य छात्रों को रट्टू तोता बनने से बचाकर उन्हें व्यावहारिक ज्ञान और भविष्य के लिए तैयार करना है। ओपन बुक एग्जाम इसी दिशा में एक कदम है।

फैसले में बदलाव

पहले यह योजना थी कि क्लास 9 से 12 तक के छात्रों के लिए ओपन बुक एग्जाम आयोजित किए जाएंगे, लेकिन अब केवल क्लास 9 और 11 के लिए यह लागू होगा।

ट्रायल और फायदे

इस नए पैटर्न को लागू करने से पहले पायलट एग्जाम आयोजित किए जाएंगे, ताकि ग्राउंड लेवल पर समस्याओं और संभावित सुधारों को समझा जा सके। इस तरह के एग्जाम से छात्रों की क्रिटिकल थिंकिंग बढ़ेगी और केवल किताबी ज्ञान के बजाय प्रैक्टिकल नॉलेज पर जोर दिया जाएगा।

संभावित नुकसान

कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, ओपन बुक एग्जाम से छात्रों की किताबों और नोट्स पर निर्भरता बढ़ सकती है। इसके अलावा, सभी छात्रों के पास समान स्तर के रिसोर्सेस नहीं होने की स्थिति में असमानता भी बढ़ सकती है। परीक्षा में समय प्रबंधन भी एक चुनौती हो सकती है।

ओपन बुक एग्जाम का उद्देश्य छात्रों को बेहतर ढंग से तैयार करना और उनकी व्यावहारिक समझ को परखना है, लेकिन इसे प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सही रणनीति और संसाधनों की आवश्यकता होगी।