Bihar proposes expanding job scope under MNREGA initiative: बिहार सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार के सामने मनरेगा मजदूरों के लिए काम का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। वर्तमान में मनरेगा के अंतर्गत गांवों में नहर खोदने, खेतों की मेड़बंदी करने जैसे कार्य केंद्रित होते हैं, जिसके बाद मजदूरों के पास रोजगार की कमी होती है। इस प्रस्ताव के अनुसार, बिहार सरकार अब गांवों में शहरों की तर्ज पर सरकारी भवन, आवास, पार्क, ओपन जिम, और खेल के मैदानों का निर्माण मनरेगा के तहत कराएगी। इससे न केवल विकास कार्य पूरे होंगे, बल्कि गांवीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
मनरेगा की वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ
मनरेगा बिहार में रोजगार की गारंटी योजना होने के बावजूद कई चुनौतियों का सामना कर रही है। पिछले तीन वर्षों में केवल एक प्रतिशत परिवारों को सौ दिनों तक काम नहीं मिला है, जो कि योजना की सफलता की सच्चाई को दर्शाता है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, बिहार में मनरेगा में पंजीकृत परिवारों के बीच काम का अवसर कम हो रहा है, जो रोजगार की गारंटी के तंत्र की विफलता का प्रमाण हो सकता है।
जिलों के स्तर पर स्थिति
बिहार के विभिन्न जिलों में मनरेगा की स्थिति विभिन्न है। जहानाबाद जिला सबसे अधिक 112 मजदूरों को सौ दिनों तक काम देने में सफल रहा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में कम संख्या में मजदूरों को काम मिल पा रहा है। इसके अलावा, कुछ जिलों में रोजगार की व्यवस्था बेहतर है, जबकि कुछ अन्य जिलों में मजदूरों को सौ दिनों का काम पूरा करने में समस्याएं हैं।
नई नीतियां और सुधार
बिहार सरकार ने इस चुनौती को समझकर नई नीतियां और सुधार किए हैं। अब मनरेगा के तहत काम मांगने पर 15 से 30 दिनों के भीतर काम देने की नई नीति को लागू किया गया है। यदि कोई व्यक्ति इस अवधि में काम नहीं पाता है, तो उसे सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाएगा। इस भत्ते के माध्यम से मजदूरों को वित्तीय सहायता भी प्राप्त होगी, जो उन्हें आर्थिक संकट से बचाएगी और उनकी जीवनदृष्टि में सुधार ला सकती है।
इस प्रस्ताव से बिहार में मनरेगा के माध्यम से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे गांवीय क्षेत्रों में विकास की रफ्तार तेज हो सके।