किसी भी फिल्म को सफ़ल बनाने में हीरो के साथ साथ विलेन का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है, किसी भी फिल्म में विलेन का किरदार बहुत सोच के डिसाइड किया जाता है क्योंकि कहीं न कहीं विलेन की वजह से ही हीरो के किरदार में भी निखार आता है। बॉलीवुड के पहले के दौर में कई दिग्गज अभिनेताओं ने बतौर विलेन बहुत अच्छा काम किया और आज हम बात करेंगे उन्हीं में से एक विलेन की जो के 80 के दशक से बॉलीवुड में अभिनय कर रहे हैं।

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इस एक्टर के ऑन-स्क्रीन किरदार की वजह से लोग इन्हें असल जीवन में भी विलेन की नज़र से ही देखते थे. इस विलेन के कुछ आइकॉनिक डायलॉग भी हैं, जिनमें सबसे फेमस डायलॉग था के “प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा।” इससे आप समझ ही गए होंगे कि हम जिस एक्टर के बारे में बात करे रहे हैं वो है बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता प्रेम चोपड़ा साहब जो 80 के दशक से अब तक बॉलीवुड में अभिनय कर रहे हैं।

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प्रेम चोपड़ा का जीवन

23 सितंबर, 1935 को लाहौर में रणबीर लाल और रूपरानी चोपड़ा के घर जन्मे। प्रेम और उनका परिवार बंटवारे के बाद शिमला चले गए। जब प्रेम पढ़ाई कर रहे थे, तब उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन उनका रुझान सिनेमा की ओर था और वह फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने के लिए बॉम्बे जाने का सपना देखते थे, प्रेम चोपड़ा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया के “जब मैं शिमला से मुंबई आया, तो मेरे पिता ने कहा, ‘मैं बाधा नहीं बनना चाहता, लेकिन मैं चाहता हूं कि आप जानें कि यह अभिनय एक सुरक्षित पेशा नहीं है, इसलिए अगर आप मुंबई जाना चाहते हैं तो आपको रोजगार ढूंढना होगा।”

प्रेम चोपड़ा ने एक न्यूज पेपर के दफ़्तर में नौकरी की

प्रेम ने अपने पिता के सुझाव कोमानते जाए बम्बई में टाइम्स ऑफ इंडिया के सर्कुलेशन विभाग में नौकरी लग गए. प्रेम बंगाल, उड़ीसा और बिहार देखा करते थे और उन्हें महीने में 20 दिन टूर पर जाना पड़ता था। प्रेम ने अपने दौरे के समय में कटौती करने के लिए अपने एजेंटों को फोन किया और स्टेशन पर ही उनसे मिलने के लिए कहा ताकि वह जल्दी वापस लौट सकें। जिस टूर में आम तौर पर 20 दिन लगते थे वह 12 दिनों में पूरा कर लेते थे और बाकी समय प्रेम एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो जाने में बिताते थे। उनके बॉस ने उनके सपनों को समझा और उनका पूरा सहयोग किया।

प्रेम की लीड फ़िल्म बतौर हीरो एक पंजाबी फिल्म थी, इंटरव्यू के दौरान प्रेम ने खुलासा किया कि ऐसी ही एक ट्रेन यात्रा के दौरान, उन्हें उनकी पहली पंजाबी फिल्म, ‘चौधरी करनैल सिंह’ बतौर लीड एक्टर मिली थी, प्रेम को इस फिल्म के लिए 2500 रुपये मिले थे, चौधरी करनैल सिंह की रिलीज से पहले प्रेम की मां चल बसी थीं, प्रेम की मां को कैंसर था और दुर्भाग्य से वह अपने बेटे को बड़े पर्दे पर देख न सकी।

प्रेम चोपड़ा ने बतौर विलेन कईं हिट फिल्में दी जिसमें ‘तीसरी मंजिल’, ‘उपकार’ और ‘बॉबी’ में प्रेम के शानदार अभिनय से अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। प्रेम ने एक ऐसी घटना के बारे में बताया जिससे वह खुश भी थे और शर्मिंदा भी। उन्होंने कहा था “एक बार मैं अपने पापाजी के साथ पंचकुला के बगीचों में घूम रहा था। जब लोगों ने मुझे देखा, तो वे चिल्लाने लगे, ‘अपनी पत्नियों को छिपाओ, प्रेम चोपड़ा यहाँ हैं’ !’ मेरे पिता आश्चर्यचकित थे, क्योंकि उन्हें लगा कि मैं एक स्टार बन गया हूं। मैंने अपने पिता से उन्हें फोन करने की रिक्वेस्ट की और उन्हें भरोसा दिलाया कि मैं वास्तव में एक अच्छा लड़का हूं।”

प्रेम चोपड़ा की फिल्में –

प्रेम ने अपने 60 साल के करियर में 380 से ज्यादा फिल्में की हैं, उनके नाम राजेश खन्ना की 19 फिल्मों में मुख्य खलनायक की भूमिका निभाने का रिकॉर्ड है. 88 वर्षीय एक्टर हाल ही में रणबीर कपूर की ‘एनिमल’ में नजर आए थे।

Anshu Pandey associated with Angika Times from 2024. He has 3 Years of Experience in Journalism. He writes Share Market, Business News as well as Latest News. She can be contacted on - anshu@angikatimes.com

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