Apple and Google compete fiercely over browser dominance: एप्पल और गूगल, दो दिग्गज टेक कंपनियाँ, हाल ही में एक नई लड़ाई के केंद्र में आ गई हैं। एप्पल ने अपने सफारी ब्राउज़र की प्राइवेसी फीचर्स को प्रमोट करने के लिए बिलबोर्ड्स लगाए हैं, जबकि गूगल अपने क्रोम ब्राउज़र में एआई फीचर्स जोड़ रहा है। दोनों कंपनियाँ अपने उपयोगकर्ताओं को बेहतर सुरक्षा और अनुभव देने का दावा करती हैं, लेकिन इसका असली कारण राजस्व और बाजार हिस्सेदारी है।
बाजार हिस्सेदारी और प्राइवेसी
गूगल क्रोम और सफारी ब्राउज़रों की कुल मार्केट हिस्सेदारी 90% से ज्यादा है। इस बड़ी हिस्सेदारी के बीच, एप्पल अपने उपयोगकर्ताओं को सफारी के प्राइवेसी फीचर्स के माध्यम से आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। वहीं, गूगल अपने क्रोम ब्राउज़र में एआई फीचर्स जैसे सर्च इन सर्कल और गूगल लेंस को जोड़कर उपयोगकर्ताओं को लुभाना चाहता है। एआई फीचर्स की बढ़ती लोकप्रियता से गूगल क्रोम की मांग बढ़ सकती है, जो एप्पल के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
iPhone पर सर्च मार्केट की लड़ाई
आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में iPhone उपयोगकर्ताओं में से केवल 30% ही गूगल क्रोम का इस्तेमाल करते हैं। गूगल इस संख्या को 50% तक बढ़ाना चाहता है ताकि अधिक iPhone उपयोगकर्ताओं को अपने डेटा के दायरे में ला सके। दूसरी ओर, एप्पल को अपने 30 करोड़ iPhone उपयोगकर्ताओं से सर्चिंग से काफी राजस्व मिलता है और वह गूगल को यह फायदा नहीं देना चाहता है।
ऐड रेवेन्यू और डिफॉल्ट ब्राउज़र की लड़ाई
फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल और एप्पल के बीच विवाद की असली वजह पैसा और उपयोगकर्ता हैं। वर्तमान में, iPhone में डिफॉल्ट तौर पर सफारी ब्राउज़र दिया जाता है और गूगल को iPhone में डिफॉल्ट सर्च इंजन के लिए एप्पल को पैसे देने होते हैं। गूगल चाहता है कि अधिक सफारी उपयोगकर्ता गूगल क्रोम का इस्तेमाल करें, जिससे उसे फायदा हो सके।
एप्पल और गूगल के बीच की यह लड़ाई टेक दुनिया में बड़ी हलचल मचा रही है। दोनों कंपनियाँ अपने उपयोगकर्ताओं और राजस्व को लेकर संघर्ष कर रही हैं, और इसका असर सीधे तौर पर उपयोगकर्ताओं पर पड़ सकता है। एप्पल ने अपने iPhone उपयोगकर्ताओं को गूगल क्रोम का इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी है, जिससे यह साफ है कि यह लड़ाई अभी और आगे बढ़ सकती है।