Ancient statues discovered exploration in village ponds continues: मधुबनी जिले का खोजपुर गांव दैत्यों के राजा बलि के नाम से प्रसिद्ध है। बलि, जो दैत्य होने के बावजूद अपनी प्रतिज्ञा और ईश्वर के प्रति श्रद्धा के लिए जाना जाता है, ने कई धर्म कर्म किए हैं। पाताल लोक में भी उन्हें अमर माना जाता है। गांव में कई तालाब हैं और इन तालाबों की उराही से अक्सर भगवान की प्रतिमाएं निकलती हैं। पहली बार यह प्रक्रिया 1972 में शुरू हुई थी, जब राजा बलि के किले के तालाब से पुरानी मूर्तियां मिली थीं, जिन्हें पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद 1990 के आसपास भी इसी प्रकार की घटनाएं देखी गईं।

केंद्र सरकार के कब्जे में तालाब

ग्रामीणों के अनुसार, यहां से मूंगा, मोती और कीमती पत्थर भी मिल चुके हैं, जिन्हें पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है। वर्तमान में ये तालाब केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं और 362 एकड़ जमीन की बाउंड्री की गई है। अब तालाब भरने की कोशिश की जा रही है, और किले के अंदर केवल दो से तीन तालाब ही दिखाई देते हैं, बाकी मिट्टी से भर दिए गए हैं।

खोजपुर की रहस्यमयी विशेषताएं

खोजपुर गांव राजा बलि के साथ-साथ अन्य कारणों से भी प्रसिद्ध है। गांव के लोग बताते हैं कि तालाब की उराही से अक्सर प्रतिमाएं निकलती हैं। पिछले कुछ वर्षों में चार अलग-अलग तालाबों की उराही की गई है, और हर बार किसी न किसी देवी-देवता की प्रतिमा मिली है। पुरातत्व विभाग इन मूर्तियों के काल के बारे में लगातार अध्ययन कर रहा है। कुछ मूर्तियां गांव के मंदिरों में रखी गई हैं, जबकि अन्य को संग्रहालय में भेजा गया है।