Will Bihar Sarkar Make New Districts in Bihar: बिहार में नए जिलों की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन इस पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लालू यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल में कई नए जिलों का निर्माण हुआ, जैसे कि 1994 में पाकुड़, कोडरमा और शिवहर, और 2001 में अरवल। हालांकि, नीतीश कुमार के 20 साल के शासनकाल में एक भी नया जिला नहीं बनाया गया है। इस दौरान, नए जिलों की मांग जोर-शोर से उठती रही है, खासकर उन इलाकों में जहां लोगों को प्रशासनिक और विकासात्मक सेवाओं की जरूरत है।

Join Our Whatsapp GroupJoin Now

लालू-राबड़ी के कार्यकाल में बने नए जिले

लालू यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल में नए जिलों का निर्माण बिहार में विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। 1994 में पाकुड़, कोडरमा और शिवहर को नए जिले का दर्जा दिया गया था, जिससे इन इलाकों में प्रशासनिक सुविधाएं बेहतर हुईं। 2001 में अरवल को नया जिला बनाया गया, जो लालू यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य का ससुराल भी है। इन जिलों के निर्माण से लालू यादव को 1995 के चुनाव में लाभ भी मिला था।

Join Our Whatsapp GroupJoin Now

नीतीश कुमार के शासनकाल में नए जिलों की कमी

नीतीश कुमार के करीब 20 साल के शासनकाल में बिहार में कोई नया जिला नहीं बनाया गया है। हालांकि, इस दौरान कई बार नए जिलों की मांग उठी, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। पटना से अलग बाढ़, मधुबनी से झंझारपुर, और पश्चिमी चंपारण से बगहा को जिला बनाने की मांग जोर-शोर से उठती रही है। पुलिस सुरक्षा के लिहाज से बगहा और नवगछिया को पुलिस जिला बनाया गया, लेकिन प्रशासनिक जिला नहीं।

चुनावी मुद्दा बन सकता है नए जिलों की मांग

नए जिलों की मांग को लेकर समय-समय पर आंदोलन भी होते रहे हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में लोगों को केवल आश्वासन ही मिला है। यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों में भी उठ सकता है, जहां विपक्ष इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना सकता है। नए जिलों के निर्माण से जनता को प्रशासनिक सेवाएं घर तक पहुंचाना आसान हो जाएगा, जो विकास के लिहाज से आवश्यक है।

झारखंड के अलग होने के बाद की स्थिति

2000 में झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद बिहार में 55 जिलों में से 18 जिले झारखंड को मिल गए, जिससे बिहार में कुल 37 जिले बचे। इसके बाद 2001 में अरवल को नया जिला बनाया गया, जिससे वर्तमान में बिहार में कुल 38 जिले हैं। नए जिलों की मांग जैसे कि बगहा, रक्सौल, झंझारपुर, और अन्य इलाकों से लगातार उठती रही है, जो प्रशासनिक सुधार की दिशा में आवश्यक है।