बिहार के बकरा नदी में 12 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा पड़रिया पुल उद्घाटन से पहले ही नदी के गर्भ में समा गया। बीजेपी विधायक और गांव के लोगों का कहना है कि पुल का पाइलिंग अगर सही होता, तो इसके तीन से चार पाये बकरा नदी में नहीं समाते।

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विभागीय अधिकारियों की लापरवाही

गांव के लोगों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और संवेदक की मेहरबानी के चलते यह घटना हुई। उनका कहना है कि अगर अधिकारी सतर्क होते और सही तरीके से निरीक्षण करते, तो पुल का यह हाल नहीं होता। लोग वर्षों से इस पुल के बन जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो सिखटी प्रखंड और कुर्साकाटा प्रखंड को जोड़ने वाला था।

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पुल के गर्भ में समाने की वजह

लोगों का मानना है कि पुल की पाइलिंग ठीक से नहीं की गई थी, जिसके कारण निर्माण के दौरान ही पुल नदी में समा गया। यह पुल क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे आवागमन में सुविधा होती और दोनों प्रखंडों के बीच सीधा संपर्क स्थापित होता।

जनता की नाराजगी

इस घटना ने स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है। उनका कहना है कि अधिकारियों की अनदेखी और संवेदक की लापरवाही के कारण जनता को इस समस्या का सामना करना पड़ा है। उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

पुल निर्माण में अनदेखी के गंभीर परिणाम

यह घटना पुल निर्माण में अनदेखी और लापरवाही के गंभीर परिणाम को दर्शाती है। यदि सही तरीके से पाइलिंग की जाती और अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण होता, तो यह दुर्घटना टाली जा सकती थी। अब यह सरकार और संबंधित विभागों की जिम्मेदारी है कि वे इस मामले की पूरी जांच करें और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।