Bhagalpur : भागलपुर का सैंडिस कंपाउंड, जो पहले बिहार गृह रक्षा वाहिनी के जिला कार्यालय और क्रिकेट एसोसिएशन का ऑफिस हुआ करता था, अब एक नए विवाद का केंद्र बन गया है। एक साल पहले इन कार्यालयों को इस उम्मीद में हटाया गया था कि भवन का उपयोग लोकहित में किया जाएगा और क्षेत्र का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। लेकिन आज वही बिल्डिंग एक निजी एजेंसी के कब्जे में है, जो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सैंडिस कंपाउंड में काम कर रही है।

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चार कमरों का उपयोग

इस बिल्डिंग में चार कमरे हैं। इनमें से एक को स्टोर रूम के रूप में उपयोग किया जा रहा है, जबकि एक कमरे में एजेंसी का मेंटेनेंस ऑफिस बनाया गया है। बाकी दो कमरों में कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट के करीब 15 कर्मचारियों के लिए आवासीय सुविधा दी गई है। यह स्थिति तब पैदा हुई है जब एक साल पहले लोगों को यह विश्वास दिलाया गया था कि यहां लोकहित के कार्य होंगे।

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नाराजगी का माहौल

भागलपुर के खेलविद और बुद्धिजीवी इस स्थिति से काफी नाराज हैं। उनका मानना है कि जब इन कार्यालयों को हटाया गया था, तब यह सोचकर कि इससे सार्वजनिक हित में कुछ बेहतर होगा, लेकिन अब इस प्रकार के कब्जे ने उन्हें ठगा हुआ महसूस कराया है। यह भवन सैंडिस कंपाउंड में स्थित स्टेडियम और जिम के एकदम पास है, जिससे यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

पुरानी आदतें

बिल्डिंग पर अनधिकृत कब्जा जमाना इस एजेंसी की पुरानी आदत बन चुकी है। पिछले वर्ष, नौ जून की रात, महापौर डॉ. वसुंधरा लाल ने जेएलएनएमसीएच अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस दौरान यह पता चला था कि अस्पताल के सामने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से बनाए गए नाइट शेल्टर में मरीजों के परिजनों के बजाय सैंडिस कंपाउंड के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का संचालन कर रही एजेंसी के कर्मचारी रह रहे थे। कर्मचारियों का ऐसा कब्जा था कि मरीजों और उनके परिजनों ने बाहरी लोगों को देख वहां जाने से परहेज करना शुरू कर दिया था। महापौर की पहल पर नाइट शेल्टर को खाली कराया गया था, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं लगातार सवाल खड़े करती हैं।

संपर्क में असफलता:

इस मामले में जब विजयश्री प्रेस के संचालक राजीव कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने पहले पूरी बात ध्यानपूर्वक सुनी, लेकिन जवाब देने की बारी आने पर वे खामोश हो गए और ठीक दसवें सेकेंड में उन्होंने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। इसके बाद फिर से उनसे बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने न तो फोन रिसीव किया और न ही बाद में कोई प्रतिक्रिया दी।

प्रशासन की चुप्पी

भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के पीआरओ पंकज कुमार से भी इस बाबत संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं की। इसके बाद जनसंपर्क के संयुक्त निदेशक सह प्रभारी जिला जनसंपर्क पदाधिकारी नागेंद्र कुमार गुप्ता से संपर्क किया गया। उन्होंने बताया कि वे पंकज कुमार से बात करके बताएंगे, लेकिन बाद में उन्होंने सूचित किया कि पंकज कुमार कॉल रिसीव नहीं कर रहे हैं।

जनता की उम्मीदें और प्रशासन की जिम्मेदारी

यह पूरा मामला भागलपुर के नागरिकों और विशेषकर खेलविदों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। जिन स्थानों पर लोकहित में कार्य होना चाहिए, वहां निजी एजेंसी का कब्जा जमाना और उसकी पुरानी आदतों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जो भी कार्य हो रहे हैं, उनमें पारदर्शिता की कमी है। ऐसे में भागलपुर के लोगों का विश्वास प्रशासन और संबंधित एजेंसियों पर से उठता जा रहा है।

सार्वजनिक संपत्ति का निजीकरण

भागलपुर का सैंडिस कंपाउंड, जो कभी खेल और सार्वजनिक गतिविधियों का केंद्र था, अब एक विवाद का प्रतीक बन गया है। इस प्रकार के घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि सार्वजनिक स्थानों का निजीकरण और अनधिकृत कब्जा एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिससे निपटने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रशासन को चाहिए कि वे इस मामले में तत्परता से कार्य करें और सुनिश्चित करें कि सार्वजनिक संपत्ति का उपयोग जनता के हित में ही हो।