PLI Scheme: मोबाइल फोन आज के दौर की ज़रूरत बन चुके हैं और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाज़ार है. मगर, ज़्यादातर मोबाइल विदेशों से ही आयात किए जाते हैं. इस स्थिति को बदलने और “मेक इन इंडिया” अभियान को गति देने के लिए, भारत सरकार मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को करोड़ों रुपये का बढ़ावा दे रही है.
ये पैसा “पीएलआई” (प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव) स्कीम के तहत दिया जा रहा है. इस स्कीम के तहत, जितना ज्यादा कंपनियां भारत में मोबाइल फोन बनाती हैं, उतना ही ज्यादा उन्हें सरकारी प्रोत्साहन मिलता है. इस बार कई बड़ी कंपनियों को सरकार हजारों करोड़ रुपये देगी. इन कंपनियों ने पिछले साल भारत में ही ढेर सारे मोबाइल बनाकर सरकार की शर्तें पूरी कर ली थीं.
कौनसी कंपनियां हैं शामिल?
इस साल Tata, Samsung और Foxconn जैसी बड़ी कंपनियों को सरकार हजारों करोड़ रुपये देगी. पिछले साल, इन कंपनियों ने भारत में ही ढेर सारे मोबाइल बनाकर सरकार की शर्तें पूरी कर ली थीं. दरअसल, पीएलआई स्कीम के तहत कंपनियों को एक तय समय सीमा में न्यूनतम मात्रा में मोबाइल का निर्माण भारत में ही करना होता है. ऐसा करने पर ही उन्हें सरकारी प्रोत्साहन मिलता है.
इस साल मिलेगा कितना पैसा?
सरकार ने इस साल मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को कुल 6,504 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है. हालांकि, कुछ कंपनियां भारत में ज्यादा मोबाइल बनाने की शर्त पूरी नहीं कर पाईं. इसलिए, उन्हें यह पैसा नहीं मिलेगा. उदाहरण के लिए, Xiaomi, Lava और Optiemus जैसी कंपनियां इस बार सरकारी प्रोत्साहन पाने से चूक गई हैं.
इस तरह से सरकार भारत में मोबाइल फोन बनाने को बढ़ावा दे रही है. इससे न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे. साथ ही, विदेशों से मोबाइल इम्पोर्ट करना भी कम होगा.