Delivery Trading आम तौर पर लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी है। जिसमें आप स्टॉक्स को खरीदते हैं और उन्हें होल्ड करते हैं। इन्हें आप कुछ हफ्तों के लिए, महीना के लिए और सालों के लिए भी होल्ड कर सकते हैं। आईए जानते हैं Delivery Trading के बारे में।

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क्या होता है Delivery Trading?

Delivery Trading में आप स्टॉक्स को खरीदते हैं और उन्हें अपने डिमैट अकाउंट में डिलीवर करवाते हैं। यानी आप अपने स्टॉक को खरीदने के बाद उन्हें एक समय के लिए होल्ड पर रख देते हैं। इसमें आपको स्टॉक को खरीदने के लिए पूरा पेमेंट करना पड़ता है। इसके बाद आप ओनरशिप की राइट भी पाते हैं।

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Delivery Trading के फायदे:

1. लॉन्ग-टर्म ग्रोथ: डिलीवरी ट्रेडिंग में सबसे अच्छा फायदा यह है, कि आप अपने स्टॉक्स को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड पर रखते है। जिससे आपको पोटेंशियल लॉन्ग टर्म ग्रोथ मिलती है।

2. कम ट्रांजैक्शन कॉस्ट: अगर दूसरी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी को कंपेयर करें, जैसे कि इंट्राडे तो डिलीवरी ट्रेडिंग में कम ट्रांजैक्शन कॉस्ट लगती है।

3. इमोशनल स्टेबिलिटी: क्योंकि डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको रोज़ाना या फिर थोड़े समय के लिए ट्रेड नहीं करना तो इसपे मार्केट के रोज़ के उतार-चढ़ाव का असर नहीं आता। जिससे आपको इमोशनल स्टेबिलिटी मिलती है।

Delivery Trading के नुकसान:

1. मार्केट रिस्क: जैसे कि हर ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में होता है, डिलीवरी ट्रेडिंग में भी मार्केट रिस्क होते हैं। मार्केट के बदलने से आपके इन्वेस्टमेंट पर भी असर पड़ सकता है।

2. ओपोर्चुनिटी कॉस्ट: अगर मार्केट में आपके स्टॉक का पोटेंशियल नहीं है और उस स्टॉक को आप होल्ड करते हैं, तो आपको ओपोर्चुनिटी कॉस्ट का सामना करना पड़ सकता है।

कैसे करें Delivery Trading?

1. रिसर्च: सही स्टॉक को चुनने के लिए आपका रिसर्च करना बहुत जरूरी है। कंपनी के बारे में जाने कंपनी की फ्यूचर ग्रोथ के बारे में समझें।

2. रिस्क मैनेजमेंट: अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग जगह लगाएं। ताकि अगर किसी एक स्टॉक में लॉस हो तो आपकी पोर्टफ़ोलियो पर असर कम पड़े।

3. लॉन्ग टर्म विजन: डिलीवरी ट्रेडिंग में सब्र बहुत जरूरी होता है। स्टॉक्स को लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करते हुए उनकी परफॉर्मेस को ट्रैक करते रहे।

4. स्टॉप लॉस ऑर्डर्स: अगर आपको लगता है कि आपके किसी स्टॉक का परफॉर्मेंस नेगेटिव में जा रहा है, तो स्टॉप लॉस आर्डर का इस्तेमाल करें। ताकि आपके लॉस को कम किया जा सके।

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तो यह थी डिलीवरी ट्रेडिंग की छोटी सी जानकारी। ध्यान रहे कि हर ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। तो अपनी रिस्क की क्षमता के हिसाब से सही स्ट्रेटजी चुने।

 

Anshu Pandey associated with Angika Times from 2024. He has 3 Years of Experience in Journalism. He writes Share Market, Business News as well as Latest News. She can be contacted on - anshu@angikatimes.com

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