Cleanse your mind persist with faith and patience: प्रेमानंद जी महाराज ने हाल ही में अपने एक सत्संग में आत्मशुद्धि और आत्मनियंत्रण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब हम भगवान का नाम जपते हैं, तो यह केवल एक साधारण प्रक्रिया नहीं होती, बल्कि यह हमारे मन की गहराईयों में छिपे गंदे विचारों और संस्कारों को बाहर निकालने का कार्य भी करती है।

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गंदे विचारों का आना और मन की सफाई

महाराज जी ने समझाया कि जब हम अपने घर में झाड़ू लगाते हैं, तो घर का कचरा इकट्ठा होकर दिखाई देने लगता है। इसी प्रकार, जब व्यक्ति भगवान का नाम जपता है, तो मन में छिपे हुए गंदे विचार उभरकर सामने आते हैं। यह एक सकारात्मक प्रक्रिया है, जो दिखाती है कि मन साफ हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब साधक की आंखों में आंसू आने लगें और प्रभु का रूप दिखाई देने लगे, तो यह संकेत है कि व्यक्ति का मन अब निर्मल और पवित्र हो चुका है।

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गलत विचारों से घबराएं नहीं

जब भगवान का नाम जपते समय मन में गंदे विचार आने लगें, तो घबराएं नहीं। प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि ये विचार मन से आ नहीं रहे हैं, बल्कि जा रहे हैं। उन्होंने साधकों को प्रेरित किया कि वे इस स्थिति से घबराएं नहीं, क्योंकि यह मन की सफाई की प्रक्रिया का हिस्सा है। इन विचारों के निकलने का मतलब है कि मन के भीतर जो नकारात्मकता थी, वह धीरे-धीरे समाप्त हो रही है।

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धैर्य और समर्पण से पूरी होगी यात्रा

प्रेमानंद जी महाराज ने जोर देकर कहा कि आत्मशुद्धि की यह यात्रा एक लंबी प्रक्रिया है और इसे पूरा करने के लिए धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है। इसलिए, साधकों को चाहिए कि वे भगवान का नाम जपते रहें और अपने मन को साफ करने की इस प्रक्रिया में लगे रहें। समय के साथ, प्रभु स्वयं उनके निर्मल मन में प्रकट होंगे और उन्हें सच्चा मार्ग दिखाएंगे।