Balance diet and devotion follow strict fasting rules: प्रेमानंद महाराज ने व्रत रखने के महत्व और नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि व्रत केवल प्रभु की आराधना के लिए रखा जाता है और इसका सही पालन करने से मनुष्य को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। व्रत का मतलब केवल खाने-पीने से परहेज करना नहीं है, बल्कि इसमें संयमित आहार और शुद्ध विचारों का पालन करना भी शामिल है।
खान-पान में संतुलन
महाराज ने बताया कि व्रत रखने वाले व्यक्ति को अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। व्रत का मतलब यह नहीं है कि दिनभर लगातार खाते रहें। इसके विपरीत, व्रत के दौरान संयमित आहार लेना चाहिए। व्यक्ति को दिन में केवल एक बार, वह भी शाम को, पूजा और भगवान को भोग अर्पित करने के बाद ही फल या प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
व्रत की शुरुआत का सही तरीका
व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह उठने के बाद सबसे पहले अपनी नित्य क्रियाओं को पूरा करना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और भगवान को भोग अर्पित करने के बाद ही पंचामृत का सेवन करके व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। महाराज ने कहा कि दोपहर में 12 बजे चरणामृत लेकर व्रत का विधिवत आरंभ करना चाहिए।
भगवान की आराधना में मन लगाना
महाराज ने बताया कि व्रत रखने वाले व्यक्ति को सच्चे मन से भगवान की आराधना में लीन होना चाहिए। व्रत का पालन करते समय न केवल बाहरी नियमों का ध्यान रखना जरूरी है, बल्कि आंतरिक रूप से भी शुद्ध विचारों और भावनाओं को बनाए रखना चाहिए। इस प्रकार, व्रत का पालन सही तरीके से करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।